कभी किसी की खामोशी चुराते है
कभी खुद को छुपाते है
मायुस है हर खुशी
और हम दिल को बहलाने के लिए
जाने क्या क्या कर जाते है
नीँदे चुराते है,सपने सँजाते है
वादे निभाते है,खुद ही भुल जाते है
वक्त की यह दास्ता
हम खुद को सुनाते है
क्योँ हर घङी हम खुद को
हजारोँ के बीच भी तनहा पाते है
सच्चाई को छुपाने की कोशिशे की जाती है
जो अपना नहीँ,अपना बनाने की कोशिशे की जाती है
सहम उठते है,सिसक उठती है धङकने
और हमारे सपने,ख्वाहिशे ही रह जाती है
बीते हुए लमहोँ ने हमेँ
जाने क्या क्या सिखा दिया
दूर थे जिससे आजतक हम
उन्हे ही आज
हमने अपना बना लिया
ठाकुर दीपक सिँह 'कवि'
नमस्कार! मै ठाकुर दीपक सिँह 'कवि' आपको आमंत्रित करता हूँ कि आये और हिँदी साहित्य को एक अलग पहचान दे ताकि युवा तथा प्रत्येक वर्ग हिँदी साहित्य को सम्मानित नजर से देखेँ।मै एक युवा कवि के साथ साथ एक छात्र भी हूँ।मैने इँटरमीडिएट उत्तरप्रदेश के आजमगढ जिले के चिल्डेन सीनियर सेकेण्डरी स्कूल से पूरा किया और तत्काल मे दिल्ली से आई0आई0टी0 मे दाखिले के लिए तैयारी कर रहा हूँ....
Tuesday, December 21, 2010
Monday, December 20, 2010
विचार एवं कल्पनायेँ-ठाकुर दीपक सिँह 'कवि'
विचारोँ के तुफान मे यूँ ही
सिहर उठती हैँ कल्पनायेँ
कुछ दबी दबी बात है
कुछ अनसुनी सौगात है
खुद से पूछ लू मैँ
यह विचार सहज है
परन्तु सरल नहीँ
विचार से आशायेँ जुङी हैँ
और आशाओँ से कल्पनायेँ
परन्तु एक होकर भी ये
भिन्न है अलग है
विचार एवँ कल्पनायेँ
यह विषय कुछ उलझाता है
कुछ समझ मेँ आता है
और कुछ खुद मेँ ही सिमट जाता है विचार मानव का मनोविग्यान!
या विचार मानव ह्रदय की सन्तान
यह सवाल मेरे जेहन मेँ
यूँ ही चला आता है
आसान भी लगता है
परन्तु कल्पना से
कुछ दूर रह जाता है
हमारे विचार कल्पना से सम्बद्ध
हो सकते है
परन्तु कल्पना से विचार
परिवर्तनहीन है
क्योँकि कोई कल्पना वास्तव मेँ
एक विचार हो
सम्भव नहीँ है
असम्भव भी नहीँ है
हम कुछ करना चाहते है
-यह कल्पना है
हमेँ कुछ करना चाहिए
-यह विचार है
कल्पना एवं विचार
दोनोँ एक सिक्के के दो पहलू है
जिसे तिरछा देखा जाय तो एक है
परन्तु सीधा देखा जाय तो बस एक है
-कल्पना या विचार
यह प्रश्न मेरे ह्रदय को
ज्वलंत कर देता है
अतः यह प्रश्न
मैँ पाठकोँ के लिए छोङता हूँ
विचार जारी है
यह मेरी कल्पना हैँ
(ठाकुर दीपक सिँह 'कवि')
पूर्व छात्र
चिल्डेन सीनियर सेकेण्डरी स्कूल,आजमगढ,उ0प्र0
सिहर उठती हैँ कल्पनायेँ
कुछ दबी दबी बात है
कुछ अनसुनी सौगात है
खुद से पूछ लू मैँ
यह विचार सहज है
परन्तु सरल नहीँ
विचार से आशायेँ जुङी हैँ
और आशाओँ से कल्पनायेँ
परन्तु एक होकर भी ये
भिन्न है अलग है
विचार एवँ कल्पनायेँ
यह विषय कुछ उलझाता है
कुछ समझ मेँ आता है
और कुछ खुद मेँ ही सिमट जाता है विचार मानव का मनोविग्यान!
या विचार मानव ह्रदय की सन्तान
यह सवाल मेरे जेहन मेँ
यूँ ही चला आता है
आसान भी लगता है
परन्तु कल्पना से
कुछ दूर रह जाता है
हमारे विचार कल्पना से सम्बद्ध
हो सकते है
परन्तु कल्पना से विचार
परिवर्तनहीन है
क्योँकि कोई कल्पना वास्तव मेँ
एक विचार हो
सम्भव नहीँ है
असम्भव भी नहीँ है
हम कुछ करना चाहते है
-यह कल्पना है
हमेँ कुछ करना चाहिए
-यह विचार है
कल्पना एवं विचार
दोनोँ एक सिक्के के दो पहलू है
जिसे तिरछा देखा जाय तो एक है
परन्तु सीधा देखा जाय तो बस एक है
-कल्पना या विचार
यह प्रश्न मेरे ह्रदय को
ज्वलंत कर देता है
अतः यह प्रश्न
मैँ पाठकोँ के लिए छोङता हूँ
विचार जारी है
यह मेरी कल्पना हैँ
(ठाकुर दीपक सिँह 'कवि')
पूर्व छात्र
चिल्डेन सीनियर सेकेण्डरी स्कूल,आजमगढ,उ0प्र0
Sunday, December 19, 2010
Exam in rajneeti style by Thakur Deepak Singh Kavi on Saturday, 11 December 2010 at 16:49
Exam in rajneeti style
by Thakur Deepak Singh Kavi on Saturday, 11 December 2010 at 16:49
RAJNEETI EXAM SPECIAL-
BY THAKUR DEEPAK SINGH "KAVI"
hamara naam STUDENTS hai,sabse chhote hai hum aur aap sabko pranam krte hai...
Abhi toh hamari book ka first page bhi nhi khula tha ki exam aa gaye...
Abhi pen se likhna start bhi nahi kiya ki hamara paper berahmi se chheen liya gaya...
Abhi to iska gum mita bhi nhi tha k results aa gaye...
Iske aansu sukhe bhi nhi k back exam aa gaye...
Ek single point agenda hai ki kaise FAIL karvaye aise baccho ko...
Par FAIL hone wale students ki buniyaad itni kacchi nahi ki aise results se hil jaye...
In sab ka teachers ko,
"KARARA JAWAB MILEGA"
"KARARA JAWAB MILEGA"
BY THAKUR DEEPAK SINGH "KAVI"
hamara naam STUDENTS hai,sabse chhote hai hum aur aap sabko pranam krte hai...
Abhi toh hamari book ka first page bhi nhi khula tha ki exam aa gaye...
Abhi pen se likhna start bhi nahi kiya ki hamara paper berahmi se chheen liya gaya...
Abhi to iska gum mita bhi nhi tha k results aa gaye...
Iske aansu sukhe bhi nhi k back exam aa gaye...
Ek single point agenda hai ki kaise FAIL karvaye aise baccho ko...
Par FAIL hone wale students ki buniyaad itni kacchi nahi ki aise results se hil jaye...
In sab ka teachers ko,
"KARARA JAWAB MILEGA"
"KARARA JAWAB MILEGA"
"मैनेँ क्या किया"-ठाकुर दीपक सिँह 'कवि'
"मैनेँ क्या किया"-ठाकुर दीपक सिँह 'कवि'
by Thakur Deepak Singh Kavi on Friday, 17 December 2010 at 15:29
कभी चाहत को मिटा दिया
कभी तुझे अपना बना दिया
दिल को ठन्डक देने के लिए
मैने जाने क्या क्या किया
सपने चुरा लिया वादे बना
लिया राहत की एक साँस ली
और यूँ ही दफना दिया
आँखो की उस दहलीज की
कयामत सजा लिया
वाह!कभी कभी खुद से पूछता हूँ
यह मैनेँ क्या किया
यह मैनेँ क्या किया
हर खबर की छाँव मेँ
एक कबर सी आँच बना लिया
तपते हुए ह्रदय पर मैनेँ
शीतल जल गिरा लिया
इरादोँ से टूटा हुआ गुलाब
मैनेँ खुद ही दबा दिया
फिर भी मैँ खुद से पूछता हूँ
यह मैनेँ क्या किया
यह मैनेँ क्या किया
दिन के साये को छिपाती है
यह मर्म चाँदनी
और मैनेँ किसी को बिन बताये
चाँद ही चुरा लिया
और फिर खुद से पूछने लगा
यह मैने क्या किया है
मगर एक प्रश्न
मेरे भी जेहन मेँ छिपा हुआ
कि वक्त ही वक्त था
पास मेरे
फिर भी क्यूँ
क्यूँ मैनेँ खुद को रूला दिया
और अब समझ मे आया
आखिर मैने क्या किया!!
कभी तुझे अपना बना दिया
दिल को ठन्डक देने के लिए
मैने जाने क्या क्या किया
सपने चुरा लिया वादे बना
लिया राहत की एक साँस ली
और यूँ ही दफना दिया
आँखो की उस दहलीज की
कयामत सजा लिया
वाह!कभी कभी खुद से पूछता हूँ
यह मैनेँ क्या किया
यह मैनेँ क्या किया
हर खबर की छाँव मेँ
एक कबर सी आँच बना लिया
तपते हुए ह्रदय पर मैनेँ
शीतल जल गिरा लिया
इरादोँ से टूटा हुआ गुलाब
मैनेँ खुद ही दबा दिया
फिर भी मैँ खुद से पूछता हूँ
यह मैनेँ क्या किया
यह मैनेँ क्या किया
दिन के साये को छिपाती है
यह मर्म चाँदनी
और मैनेँ किसी को बिन बताये
चाँद ही चुरा लिया
और फिर खुद से पूछने लगा
यह मैने क्या किया है
मगर एक प्रश्न
मेरे भी जेहन मेँ छिपा हुआ
कि वक्त ही वक्त था
पास मेरे
फिर भी क्यूँ
क्यूँ मैनेँ खुद को रूला दिया
और अब समझ मे आया
आखिर मैने क्या किया!!
Saturday, December 18, 2010
आइयेँ हिँदी साहित्य को एक नई पहचान देँ
मैँ ठाकुर दीपक सिँह कवि समस्त युवा वर्ग से आह्वान करता हूँ कि हिँदी साहित्य को प्रबल बनाने मे अपना योगदान करेँ।आपका यह युवा कवि आपके और हिँदी साहित्य के लिए रचना प्रस्तुत करता रहेगा,बस आपकी शुभकामना मेरे साथ रहे तो...18 dec 2010
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